छत्तीसगढ़ में फिर बड़ी सफलता: 25 लाख के ईनामी चैतू उर्फ श्याम दादा समेत 10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, कुल 65 लाख के इनामी माओवादी हुए सरेंडर
चंद्रहास वैष्णव
छत्तीसगढ़ में माओवाद के खिलाफ चल रहे सघन अभियानों को एक और बड़ी सफलता मिली है। सुकमा जिले में लंबे समय से सक्रिय दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) के कुख्यात सदस्य और 25 लाख रुपये के ईनामी चैतू उर्फ श्याम दादा ने सोमवार को पुलिस और प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। चैतू के साथ कुल 10 सक्रिय नक्सलियों ने हथियार छोड़ मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इन सभी पर कुल 65 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
🔹 झीरम घाटी हमले का मास्टरमाइंड माना जाता था चैतू
सरेंडर करने वालों में सबसे बड़ा नाम चैतू उर्फ श्याम दादा का है, जिसे दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का प्रभावशाली सदस्य माना जाता है। वह झीरम घाटी हमले का मुख्य योजनाकार था और वर्षों से दरभा डिवीजन का प्रभारी रहा है। सुरक्षा एजेंसियों की सूची में वह लंबे समय से सबसे वांछित माओवादियों में शामिल था।
🔹 सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और सरेंडर पॉलिसी का असर
सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में एंटी-नक्सल ऑपरेशन की तीव्रता बढ़ने और कई बड़े माओवादी नेताओं के सरेंडर से संगठन पर दबाव बढ़ा है। साथ ही, राज्य सरकार की पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति की लगातार अपील का असर इन माओवादियों पर देखा गया, जिसके बाद उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ शांति की ओर लौटने का फैसला किया।
🔹 सरेंडर करने वालों की पूरी सूची और इनाम
सरेंडर करने वाले नक्सलियों में शामिल हैं—
चैतू उर्फ श्याम दादा (DKSZC) – 25 लाख
सरोज उर्फ DCVM – 8 लाख
भूपेश उर्फ सहायक राम – ACM
प्रकाश – ACM
कमलेश उर्फ झितरु – ACM
जननी उर्फ रयमती कश्यप – ACM
संतोष उर्फ सन्नू – ACM
नवीन – ACM
रमशीला – PM
जयती कश्यप – PM
इन सभी पर कुल 65 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
🔹 नक्सल संगठन की कमर तोड़ने वाला कदम
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं का लगातार आत्मसमर्पण करना नक्सल संगठन के लिए बड़ा झटका है। चैतू जैसे हाई-प्रोफाइल कमांडर का सरेंडर करना संगठन की रणनीति, मनोबल और जमीनी नेटवर्क को कमजोर करता है। यह घटना आने वाले समय में नक्सल गतिविधियों में और गिरावट का संकेत है।
🔹 सरकार ने किया स्वागत
प्रदेश सरकार ने इस सामूहिक आत्मसमर्पण का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यधारा में लौटने वाले सभी नक्सलियों को पुनर्वास नीति के अनुसार आवश्यक सहायता, सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, ताकि वे समाज में सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत कर सकें।