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छत्तीसगढ़ में जमीन दरों में भारी वृद्धि, रियल एस्टेट सेक्टर में हड़कंप—नई गाइडलाइन से जनता में नाराज़गी बढ़ी

चंद्रहास वैष्णव

जगदलपुर – छत्तीसगढ़ में नई कलेक्टर गाइडलाइन दरों के लागू होते ही पूरे प्रदेश में नाराज़गी और विरोध तेज हो गया है। जमीन, मकान और प्लॉट की सरकारी दरों में 10 से 100 प्रतिशत तक की भारी बढ़ोतरी, कई जिलों में 150 से 300 प्रतिशत तक उछाल के साथ सामने आई है। इससे रजिस्ट्री शुल्क, स्टांप ड्यूटी और पंजीयन से जुड़े खर्च तेजी से बढ़ गए हैं, जिससे आम लोग और रियल एस्टेट कारोबार दोनों दबाव में आ गए हैं।

यह बढ़ोतरी ग्रामीण से लेकर शहरी सभी क्षेत्रों में समान रूप से लागू की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई शहरों में पहले से ही बाजार मूल्य अधिक था, ऐसे में गाइडलाइन बढ़ने से दस्तावेजी कीमत वास्तविक बाजार मूल्य से भी ऊपर पहुंच गई है। नतीजतन जमीन खरीद-बिक्री में अचानक गिरावट देखी जा रही है और पंजीयन कार्यालयों में सन्नाटा पसर गया है। जमीन कारोबारियों का आरोप है कि सरकार ने क्षेत्रीय आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखे बिना एक साथ दरें बढ़ाते हुए रियल एस्टेट सेक्टर का संतुलन बिगाड़ दिया है।

बस्तर क्षेत्र में इसका विरोध अधिक तेज है। जगदलपुर के जमीन कारोबारी और डेवलपर्स ने बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के साथ चर्चा कर इसे “जनविरोधी और अव्यावहारिक” बताते हुए कहा कि गरीब और आदिवासी वर्ग अब पुश्तैनी जमीन का हस्तांतरण या घर बनाने का छोटा सपना भी पूरा नहीं कर पाएगा। चेंबर ने 29 नवंबर को रायपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक में इस मुद्दे को प्रमुख रूप से उठाने का फैसला किया है।

विपक्षी दलों ने भी चेतावनी दी है कि इससे भूमि पंजीयन में भारी गिरावट आएगी, रियल एस्टेट उद्योग ठहराव में जा सकता है और हजारों लोगों की रोजगार प्रभावित होगी। हालांकि सरकार का तर्क है कि इससे भविष्य में भूमि अधिग्रहण के दौरान किसानों को उचित मुआवजा मिल सकेगा, लेकिन जनता का मानना है कि बिना आर्थिक क्षमता का मूल्यांकन किए दरों में की गई अचानक वृद्धि प्रदेश के जमीन बाजार को लंबे समय के लिए सुस्त कर सकती है।

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