उमरिया जिले में सूचना का अधिकार बना मजाक
दीपक विश्वकर्मा
उमरिया जिले में सूचना का अधिकार (RTI) के क्रियान्वयन को लेकर आम नागरिकों में काफी असंतोष नजर आ रहा है, खासकर जब यह वन विभाग से जुड़ी सूचनाओं की बात आती है अक्सर देखा गया है कि वनों में लाखों-करोड़ों के गड़बड़ी के आरोप सामने आते हैं, लेकिन जब आम नागरिक या पत्रकार RTI के ज़रिए जानकारी मांगते हैं, तो संबंधित अधिकारी न केवल जानकारी देने में टालमटोल करते हैं, बल्कि कभी-कभी आवेदनकर्ता की दी गई जानकारी को भी गलत ठहराने की कोशिश में लग जाते है RTI अधिनियम 2005 का उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता व जवाबदेही लाना है इससे नागरिकों को जानकारी लेकर करप्शन एवं गड़बड़ी को सामने लाने का अधिकार मिलता है वन विभाग में RTI द्वारा मांगी गई सूचनाएँ तय समय सीमा में उपलब्ध कराना कानूनी रूप से अनिवार्य है लेकिन उमरिया जिले में एकदम विपरीत है उमरिया जिले के वन विभाग में अक्सर RTI आवेदनों को नज़रअंदाज किया जाता है या जानकारी अधूरी दी जाती है। कई बार अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें की गईं कि वे फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत करते हैं या वास्तविक जानकारी छुपाते हैं
RTI के प्रावधानों के बावजूद, वन विभाग में लाखों-करोड़ों की गड़बड़ी से जुड़ी फाइलें या दस्तावेज़ आसानी से सार्वजनिक नहीं किए जाते उमरिया जिले के वन विभाग में RTI को लेकर प्रक्रिया में गंभीर सुधार की जरूरत है ताकि भ्रष्टाचार कम किया जा सके और आम लोगों का अधिकार सुरक्षित रह सके।।