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बकावंड : बालक छात्रावास में घोर लापरवाही — छात्र गंभीर रूप से झुलसा, प्रशासन की नींद अभी भी नहीं टूटी

चंद्रहास वैष्णव

बस्तर जैसे आदिवासी अंचल में शिक्षा और बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार चाहे जितने दावे कर ले, हकीकत बारदा बालक छात्रावास जैसी घटनाएं बार-बार इन दावों की पोल खोल देती हैं। विकासखंड बकावंड के ग्राम पंचायत बारदा स्थित बालक छात्रावास में सोमवार को ग्राम किजोली निवासी छात्र टुमन भद्रे गंभीर रूप से झुलस गया, जब रसोइया और अधीक्षक की अनुपस्थिति में उसे अपने साथियों के लिए खुद खाना बनाना पड़ा। खाना बनाते वक्त खौलते तेल की चपेट में आने से उसका चेहरा बुरी तरह झुलस गया और छात्रावास प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।

घटना के बाद अधीक्षक सोनाधार गोयल नदारद थे, जबकि संबंधित विभाग और अधिकारी मामले को दबाने की कोशिश में लगे रहे। आखिरकार ग्रामीणों की सूचना पर बच्चे को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल भेजा गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। यह कोई पहली घटना नहीं है — बस्तर के छात्रावासों में सुविधाओं का अभाव, अधिकारियों की उपेक्षा और भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हो गई हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि अधीक्षक और रसोइया अक्सर छात्रावास से गायब रहते हैं, बच्चे खुद खाना बनाते हैं और सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी नहीं ली जाती। यह लापरवाही सिर्फ एक छात्र की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की असफलता का आईना है। जिन बच्चों के भविष्य को सशक्त बनाने का दावा सरकार करती है, वे बच्चे प्रशासनिक बेपरवाही की भट्टी में झुलस रहे हैं।

जब इस मामले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया। इसी तरह जनपद अध्यक्ष सोनबारी भद्रे और मंडल संयोजक लीलाधर कश्यप ने भी जिम्मेदारी से भागने में ही अपनी सुविधा समझी। वहीं सहायक आयुक्त गणेश सोरी से संपर्क करने पर उन्होंने फोन तक रिसीव नहीं किया।

सरपंच तिलोत्तमा मौर्य ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और उच्च अधिकारियों को सूचना दी, परंतु अब तक किसी भी अधिकारी ने स्थल पर पहुंचना तक उचित नहीं समझा। यह स्पष्ट संकेत है कि प्रशासन की संवेदनशीलता मर चुकी है और सरकार की योजनाएं सिर्फ फाइलों और भाषणों में सीमित हैं।

बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्र में जहां शिक्षा पहले से ही चुनौती है, वहां इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि सरकार के “बस्तर विकास” के वादे सिर्फ दिखावा हैं। यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो ऐसे हादसे बच्चों के जीवन के साथ लगातार खिलवाड़ करते रहेंगे। ग्रामीणों ने अधीक्षक को तत्काल निलंबित करने और विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

यह घटना न केवल प्रशासन की निष्ठुरता बल्कि पूरे शासन तंत्र की असंवेदनशीलता और गैरजवाबदेही को उजागर करती है।

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