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सरकार समय पे नहीं खपा पा रही धान,सहकारी समिति कर्मचारी व धान खरीदी ऑपरेटर संघ की लंबित मांगों पर आंदोलन की तैयारी — शासन से 4 सूत्रीय मांगों की पूर्ति की गुहार

चंद्रहास वैष्णव

छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ (पंजीयन क्र. 6685) एवं छत्तीसगढ़ समर्थन मूल्य धान खरीदी ऑपरेटर संघ (पंजीयन क्र. 122202149760) ने संयुक्त रूप से प्रदेश सरकार से लंबित मांगों के निराकरण की मांग करते हुए चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। दोनों संगठनों ने कहा है कि प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों के माध्यम से किसानो को सेवा प्रदान की जा रही है, लेकिन शासन की नीतिगत देरी और भुगतान संबंधी समस्याओं के कारण समिति कर्मचारियों को नियमित वेतन नहीं मिल पा रहा है।

संघ ने बताया कि समर्थन मूल्य धान खरीदी में समय पर परिवहन न होने से समितियों को सुखत राशि, सुरक्षा व्यय और कमीशन कटौती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते समितियों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। वर्ष 2024 में मुख्यमंत्री की पहल पर मुख्य सचिव स्तर की बैठक भी हुई थी और खाद्य विभाग द्वारा वित्त विभाग को भुगतान संबंधी प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब तक उस पर कोई अमल नहीं हुआ है।

पूर्व में भी संघ को शासन द्वारा दिए आश्वासन में चुप्पी साध ली थी सरकार

इससे पूर्व भी वर्ष 2024–25 मे संघ द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन के फलस्वरूप शासन ने लिखित रूप में आदेश जारी करते हुए आश्वासन दिया था जिसमें मुख्य प्रावधान नियोजित किए गए थे

1. धान खरीदी अवधि का निर्धारण:
राज्य के किसानों से समर्थन मूल्य पर नगद एवं लिंकिंग व्यवस्था में धान की खरीदी 14 नवंबर 2024 से 31 जनवरी 2025 तक की जाएगी।
2. धान उठाव एवं सूखत राशि का प्रावधान:
नीति की कंडिका 15.8 एवं 15.9 में संशोधन कर यह प्रावधान किया गया है कि धान खरीदी की अंतिम तिथि के बाद मार्कफेड द्वारा खरीदी केंद्रों में भंडारित समस्त धान का एक माह के भीतर उठाव मिलर एवं परिवहनकर्ताओं के माध्यम से कराया जाएगा।
यदि एक माह के बाद भी खरीदी केंद्र में धान शेष रहता है, तो शेष धान की मात्रा पर समितियों को “सूखत राशि” प्रदाय करने हेतु खाद्य विभाग द्वारा वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

किंतु शासन ने भी नियोजित प्रावधानों को भी ठंडे बस्ते में रखकर मौन धारण कर लिया था।

मुख्य मांगे:–

संघ की प्रमुख चार सूत्रीय मांगें निम्नलिखित हैं —
(1) समर्थन मूल्य धान खरीदी वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में परिवहन पश्चात संपूर्ण सुखत राशि समितियों को दी जाए तथा शून्य शार्टेज प्रोत्साहन और बढ़ा हुआ कमीशन दिया जाए।
(2) धान खरीदी नीति की कंडिका 11.3.3 में आउटसोर्सिंग द्वारा कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति को समाप्त कर नियमितिकरण किया जाए।
(3) प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों को मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रति वर्ष ₹3 लाख का प्रबंधकीय अनुदान दिया जाए।
(4) श्री कांडे कमेटी की सिफारिशों को लागू करते हुए भविष्य निधि, महंगाई भत्ता, ईएसआईसी सुविधा और संविदा कर्मचारियों को प्राथमिकता के साथ भर्ती में शामिल किया जाए।

आंदोलन की रूपरेखा भी तय कर ली गई है —
24 अक्टूबर को सभी 33 जिलों में जिला स्तरीय रैली व ज्ञापन, 28 अक्टूबर को प्रदेश स्तरीय “महा हुंकार रैली”, 3 से 11 नवंबर तक संभाग स्तरीय अनिश्चितकालीन आंदोलन और 12 नवंबर से मांगों की पूर्ति तक निरंतर आंदोलन किया जाएगा।

संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस बार शासन द्वारा केवल आश्वासन का प्रलोभन संघ बर्दाश्त नहीं करेगी यद्यपि समय रहते सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

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