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“वन विभाग में मनमानी पर उतरे अधिकारी, शासन के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना” सरकारी वाहनों का निजी उपयोग और ट्रांसफर आदेशों की अनदेखी से बढ़ा विभाग में अराजकता का माहौल*

चंद्रहास वैष्णव

जगदलपुर। प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभागों के लिए यह समय मौज-मस्ती का दौर साबित हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, कई विभागों के अधिकारी नियमित कार्यों के बजाय मनमानी पर उतर आए हैं। विशेष रूप से वन विभाग में अधिकारियों का रवैया शासन के निर्देशों की पूरी तरह अवहेलना करता दिखाई दे रहा है। बस्तर क्षेत्र से वन विभाग का जिम्मा संभाल रहे मंत्री केदार कश्यप के संरक्षण में अधिकारी खुली छूट का लाभ उठाते नजर आ रहे हैं। तस्वीरें और जमीनी हालात स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि शासन द्वारा जारी कड़े निर्देशों के बावजूद अधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

“सरकारी वाहनों का निजी उपयोग, शासन के आदेशों की अनदेखी”

वन विभाग में अधिकारियों द्वारा सरकारी वाहनों का दुरुपयोग लगातार जारी है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी वाहन अपने रेंज या निर्धारित क्षेत्र से बाहर उपयोग नहीं किया जा सकता, बावजूद इसके अधिकारी इन वाहनों को निजी उपयोग में लाकर पूरे प्रदेश में दौड़ाते फिर रहे हैं। यह स्थिति न केवल शासन की अवमानना है, बल्कि आम जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग भी है।
जानकारी के अनुसार, पूर्व में कई बार दूसरे क्षेत्रों में वाहन संचालन के दौरान दुर्घटनाएं होने के बावजूद अधिकारियों ने मरम्मत करवाकर मामलों को दबा दिया। शासन ने इसी कारण स्पष्ट निर्देश जारी किए थे, लेकिन आज भी इन आदेशों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है।

“लंबे समय से एक ही जगह पर जमे हैं अधिकारी, ट्रांसफर आदेशों का पालन नहीं”

बस्तर क्षेत्र के कई रेंजों में देखा गया है कि अधिकारी और कर्मचारी वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि स्थानांतरण आदेश के 10 दिनों के भीतर पदभार छोड़ना अनिवार्य है, लेकिन कई अधिकारी दशकों से अपने पुराने स्थान पर जमे हुए हैं। कुछ तो पूरे करियर का अधिकांश समय एक ही जगह बिताकर सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
रिलीव न करने की मनमानी के चलते कई कर्मचारी आज भी नए स्थान पर ज्वाइन नहीं कर पा रहे हैं। इससे विभागीय कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और नीचे के स्तर पर काम कर रहे कर्मचारियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।

“अधिकारियों की मनमानी से परेशान कर्मचारी, विरोध की तैयारी में निचला स्टाफ”

विभागीय सूत्रों के अनुसार, उच्च अधिकारियों की मनमानी का खामियाजा निचले स्तर के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। लगातार प्रताड़ना और दबाव के कारण अब कर्मचारी आंदोलन की तैयारी में हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

“मंत्री की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल”

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वन विभाग के अधिकारियों का भय इसलिए समाप्त हो गया है क्योंकि विभागीय मंत्री स्वयं बस्तर क्षेत्र से हैं? क्या मंत्री द्वारा अधिकारियों को खुली छूट दे दी गई है?
यदि ऐसा है, तो यह शासन की कार्यप्रणाली और जवाबदेही दोनों पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। विभागीय अनुशासन की गिरती स्थिति यह संकेत दे रही है कि या तो मंत्री स्थिति से अनभिज्ञ हैं या जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं।

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