राजनीति

महिला आरक्षण को लेकर मोदी सरकार की नियत साफ नहीं- विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव

महिला आरक्षण को लेकर मोदी सरकार की नियत साफ नहीं- डॉक्टर लक्ष्मी ध्रुव

 

नगरी। केंद्र सरकार ने नारी शक्ति वंदन के नाम पर महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया है। इस पर सवाल उठाते हुए सिहावा विधायक डॉ लक्ष्मी ध्रुव ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पर मोदी सरकार की नियत साफ नहीं है। देश की आधी आबादी को साधने के नाम पर उनके साथ सिर्फ धोखा किया जा रहा है। अगर केंद्र सरकार महिलाओं की वाकई हितैषी होती तो महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू किया जाता, लेकिन सरकार में जानबूझकर विधेयक में ऐसा प्रावधान किया है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले महिला आरक्षण लागू होना संभव नहीं है जिसके कारण इस लोकसभा चुनाव में महिलाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। वहीं आगामी समय में विभिन्न प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी यह विधेयक महिलाओं के लिए किसी काम का नहीं रहेगा। मोदी सरकार की कोशिश सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने की नजर आती है। विधेयक में सम्बन्ध में बताया कि इसमे किये गए प्रावधान के मुताबिक जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद ही महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा। 2021 में जनगणना होने वाली थी जो अब तक नहीं हुई है। वहीं महिलाओं के लिए आरक्षण नई जनगणना के बाद भी तब होगा जब परिसीमन किया जाएगा। मतलब महिला आरक्षण के लागू होने की राह में अब भी दो रोड़े हैं पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन। इससे संकेत मिलता है कि महिला आरक्षण का प्रावधान 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही लागू हो पाएगा। विधेयक में कहा गया है कि आरक्षण शुरू होने के 15 साल बाद प्रावधान प्रभावी होना बंद हो जाएंगे। इस बात पर ऐतराज है कि आखिर महिला आरक्षण के लिए 15 वर्ष की अवधि ही क्यों सीमित रखी गई है।

नारी शक्ति वंदन विधेयक में यह भी कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। पर इसमे पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को आरक्षण देने के सम्बंध में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। विधेयक के अनुसार प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी। यह महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने प्रावधान नजर आता है। डॉक्टर ध्रुव ने आगे कहा कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना कभी भी मोदी सरकार नहीं चाहती है, इसलिए आरक्षण के नाम पर सिर्फ झुनझुना थमाया गया है। कांग्रेस के द्वारा पिछले 9 साल से महिला आरक्षण विधेयक की मांग की जा रही थी लेकिन मोदी सरकार ने चुनाव के समय आधी-अधूरी तैयारी के बीच यह विधेयक लाया गया जिससे यह स्पष्ट है कि चुनावी लाभ लेने की कोशिश की गई है। आरक्षण को लेकर भाजपा की हमेशा दोहरी नीति रही है, एक ओर छत्तीसगढ़ में प्रदेश सरकार के द्वारा दिये जाने वाले आरक्षण को राज्यपाल के द्वारा अटकाकर रखा गया दूसरी ओर महिला आरक्षण विधेयक लाकर महिलाओं का हितैषी बनने का सिर्फ ढोंग किया जा रहा है।

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